नींद…


एक ही तो उनकी,
शिकायत थी रहती !
कि रातों में,
नींद ही नहीं पड़ती !
हम भी हँसकर,
टाल देते थे !
कहते थे,
आप भी तो बिल्कुल नहीं थकतीं !

पर उस दिन, लेटने से पहले,
हमारा करार हुआ था !
कि कहानी के बाद,
लोरी होगी, थपकी भी होगी !
तब जाकर उनकी,
एक झपकी सी होगी !

पर शायद उस पलछिन,
वो काफी थकी होंगी !
इतने सालों की मेहनत की कसर,
उसी दिन निकली होगी !

उस गाढ़ी रात को,
आधी कहानी में ही,
गहरी निद्रा में, सो चुकी थी वो,
हमेशा के लिए…
बहुत थकी,
बस थोड़ी पुरानी,
मेरी माँ !!!

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